ब्राह्मणवाद कोई श्राप नहीं, एक उपचार है

 ब्राह्मणवाद आज के समय में ऐसे टैबू है कि ब्राह्मण खुद ब्राह्मणवाद को गाली देते हैं।


जबकि ब्राह्मण ही हिन्दू धर्म का मूल है। अगर आप ब्राह्मण हैं, तभी आप हिन्दू होने का सबसे अधिक लाभ ले सकते हैं।


और हिन्दू की भी सबसे ज़्यादा आध्यात्मिक वृद्धि तभी होती है जब वह खुद को ब्राह्मण मानता है।

ब्राह्मणवाद हिन्दू धर्म में इस प्रकार लिप्त है कि ब्राह्मणवाद ही हिन्दू धर्म है।


हिन्दू धर्म में वर्णवाद है जिसमें ब्राह्मण का सबसे उच्च स्थान है। आज के समय में इसको लोग बुरी बात मानते हैं।

पर इस चीज़ को मानकर ही हिन्दू की अपनी उन्नति हो सकती है।


जो किए जाने की ज़रूरत है, वह ठीक उल्टा है।

ब्राह्मण को ख़राब या विलेन बनाने की जगह हिन्दू सारे ब्राह्मण स्वयं बन जाएं, इसी में हिन्दू समुदाय को सबसे ज़्यादा लाभ है।

नहीं तो जो हिन्दू ब्राह्मण नहीं हैं, वह आधा धर्म का या फिर एक चौथाई धर्म का ही सिर्फ लाभ ले रहे हैं।


इसलिए आज की ज़रूरत यह है कि हर जाति अपने आप को ब्राह्मण घोषित करे एवं हिन्दू धर्म का असली लाभ ले।


ब्राह्मणवाद कोई श्राप नहीं, एक उपचार है।


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