बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का सस्ता नारा
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हालांकि 2020 का बिहार चुनाव बीते काफी समय हो गया, पर हाल की घटनाओं ने एक बार फिर उस ओर हमारा ध्यान इस ओर किया है। उस चुनाव में अलग अलग पार्टियां अपने अपने एजेंडे और चुनावी वादे लेकर मैदान में उतरे थे। जेडीयू की ओर से सात निश्चय पार्ट 2 की बात की गई, तो राजद ने 10 लाख सरकारी नौकरी की बात रखी जिसपे बीजेपी ने 19 लाख रोजगार सृजन का वादा कर दिया। इन सब के बीच, बिहार की जनता में अच्छे वोट की पकड़ रखने वाली लोजपा ने भी अपना चुनावी फॉर्मूला रखा और बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा दिया। बिहार चुनाव के नैरेटिव की कहानी इस नारे के कॉन्टेक्स्ट में यह बात पे ध्यान देना जरूरी है कि 2020 में नीतीश राज के 15 साल पूरे हुए थे और उन्होंने बिहार में इतने समय में आखिर क्या खास कर लिया पर बहस छिड़ी थी। इसमें जेडीयू की ओर से विकास के कार्य की एक लंबी लिस्ट दी जा रही थी और नीतीश कुमार की विकास पुरुष वाली इमेज पर फिर से सवारी करने को तैयारी हो रही थी। ऐसे में जेडीयू में ही एक समय काफी ऊंचे स्थान पर रहने वाले प्रशांत किशोर एक नया तर्क सामने रखते है की नीतीश कुमार चाहे जितना विकास का दावा कर ले, पर ...